दाढ़ी जब से सफ़ेद है मेरी ,
हुस्न
वालों ने आँख है फेरी ....
कैसे बतलाऊं इनको, कैसा हूँ ,
यारों ! मैं नारियल के जैसा हूँ ...
हाथ में ले के मुझको तोड़ो तो !
मेरे अन्दर गिरी को फोड़ो तो !
कितना समझाया इन हसीनों को ,
ठीक करता हूँ मैं मशीनों को ....
एक बोइंग सा हाल है मेरा ,
दिल अभी भी कमाल है मेरा ....
उम्र थोड़ी सी ढल गयी तो क्या ?
मेरी नीयत फिसल गयी तो क्या ?
इतने अरमां मेरी कहानी में,
खत्म ना हो सके जवानी में ...