परायों कभी अपना , बना पाया , नहीं लेकिन
मैं अपनो को कभी नज़दीक ला पाया, नहीं लेकिन ,
ये मेरी कैसी मज़बूरी , नहीं मालूम है , यारों !
किसी रिश्ते को मैं अब तक भुला पाया , नहीं लेकिन .... १
उड़ चलें गगन के पार चलो
संग मेरे पंख पसार चलो,
जीवन को हाथों थामे
बन कर विमान एक साथ चलो। ........ २
Ab to charchaa ye aam hone de,
Loogon ko badzubaan hone de,
Hum ko dar kya, hum banaate to nahin
Phir se baithenge, shaam hone de....
अब तो चर्चा ये आम होने दे ,
लोगों को बदज़ुबान होने दे ,
हम को डर क्या, हम बनाते तो नहीं
फिर से बैठेंगें शाम होने दे....
Zindagi chalati ek qareene se,
Pal se, hafte se, aur maheene se,
Haath me jaam aur mehfil ho,
umra badhati hai thoda peene se...
ज़िन्दगी चलती है एक क़रीने से,
पल से , हफ्ते से, और महीने से,
हाथ में जाम और महफ़िल हो,
उम्र बढ़ती है थोड़ा पीने से ....