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7.2.17

Bhajan


कृष्ण  भजन ----


1..

श्याम मिलन को जाऊं सखी री---श्याम मिलान को जाऊं 

नदी तीर नाचूँ राधा बन , अँखियन  उन्हें बसाऊं सखी री ---श्याम मिलन को 

पीले वसन बना के  घूँघट, श्याम संग इतराऊं सखी री। ..श्याम मिलान को  

छीन मुरलिया भागूं बन में, उन के हाथ ना आऊं सखी री। .श्याम मिलान को 

ओट पर ना श्याम दिखें तो , नैनन नीर बहाऊँ सखी री।  श्याम मिलान को 

श्याम रंग आँखों से  के , मैं श्यामल हो  जाऊं सखी री।  श्याम मिलान को


2..

बृज सूना तुम  बिन गोपाला ---

पनघट सूने,रोती जमुना, वृन्दावन हुआ काला ----बृज सूना तुम   बिन गोपाला

टूटी डाल , फूल बिखरे हैं , दहके बिरह की ज्वाला---बृज सूना तुम बिन गोपाला

गोप गोपिका सांस धरे बस , बरसात नभ से हाला ---बृज सूना तुम बिन गोपाला

मुरली बंद , बंद  है  धड़कन , कैसा बैर  निकाला ---बृज सूना तुम बिन गोपाला

गिरत अंगार , रात ज्यों आवत , देख तो जा नंदलाला --बृज  सूना तुम बिन गोपाला



३...

नाचत श्याम , नचावति राधा ... ...